Thursday, February 10, 2011

भारत पर डिपेंड रहेगा क्रिकेट मार्केट

जयपुर। दस दिन बाद शुरू होने जा रहे क्रिकेट महाकुंभ को भी टीवी चैनल टीआरपी बनाने के चांस के रूप में ले रहे हैं। इस बार टीम इंडिया को मार्केटिंग के लिहाज से फायदे का सौदा माना जा रहा है।
जानकारों के मुताबिक विश्वकप का मार्केट भारत और पाकिस्तान की टीमों पर ज्यादा निर्भर होगा। इसके पीछे जानकार कारण बताते हैं कि इस उपमहाद्वीप में क्रिकेट के प्रति दीवानगी सिर चढ़कर बोलती है। ऎसे में वर्ल्ड कप के जरिए टीआरपी में इजाफा भारतीय उपमहाद्वीप के दर्शकों पर डिपेंड है। यही वजह है कि मैच के प्रसारण अधिकार खरीदने को चैनल उतावले रहेते हैं और विज्ञापन कंपनियां पैसा लुटाने से नहीं हिचकती।
मार्केटिंग गुरू हरीश बिजूर का कहना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच ज्यादा मैच होते हैं तो यह टूर्नामेंटि मार्केटिंग के लिहाज से सफल होगा। अगर दोनों देशों की टीमें जल्द ही वर्ल्ड कप से बाहर हो गई तो मार्केट के लिए यह अच्छा नहीं होगा। क्योंकि विज्ञापन एजेंसियों की नजर इन दोनों टीमों पर है।
हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच ज्यादा मैच होने मुश्किल हैं क्योंकि दोनों को अलग-अलग ग्रुप में रखा गया है। दोनों टीमों का आमना सामना क्वार्टरफाइनल में ही होगी।
हरीश मानते हैं कि 2011 का वर्ल्ड कप एक तरह से वन डे क्रिकेट का रेफरेंडम होगा। उनका कहना है कि विज्ञापन से होने वाली कमाई भरोसेमंद दर्शकों पर निर्भर करती है। अगर खेल उनको भावनात्मक रूप से जोड़ता है तो वे इसे जरूर देखेंगे।
कमर्शियल हब है भारतीय उपमहाद्वीप
क्रिकेट विश्वकप और भारतीय उपमहाद्वीप अपने आप में ही ऎसा विचार है जिसे बेचा जा सकता है। अब यह कोई रहस्य नहीं रहा है कि भारतीय उपमहाद्वीप ही ग्लोबल क्रिकेट फाइनेंस को सहारा दे रहा है। ऎसे में भारतीय उपमहाद्वीप अपने आप में कमर्शियल हब बन चुका है। इसी को ध्यान में रखते हुए ईएसपीएन ने विश्वकप के प्रसारण अधिकार एक बिलियन डॉलर में खरीदे हैं।
दर्शकों के भरोसे लगाया पैसा
प्रसारण अधिकारों के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च करने की बड़ी वजह यहां के दर्शक हैं। अकेले भारत में ही करीब 726 मिलियन दर्शक हैं। अगर पूरी दुनिया के दर्शकों को जोड़ा जाए तब भारत के दर्शकों के बराबर संख्या होगी।
ऎसे चलता है क्रिकेट का मार्केट
आईसीसी प्रसारण अधिकार बेचती है
प्रसारण कंपनियां विज्ञापन के जरिए कमाई करती हैं
विज्ञापन कंपनियां टीमों से भी प्रचार करवाती हैं
टीमें विज्ञान का प्रचार करती हैं, मसलन खिलाडियों की पोशाकों पर प्रचार
स्थानीय क्रिकेट बोर्ड जो स्टेडियम में जगह बेचती हैं
950 करोड़ की कमाई का अनुमान
ऎसे लाखों क्रिकेट प्रशंसक हैं जो स्टेडियम में मैच देखने नहीं जाते वे टेलीविजन पर मैच देखना पसंद करते हैं। प्रसारण कंपनियों का मुनाफा इसी वर्ग पर निर्भर है। बाजार विश्लेषकों का दावा है कि विज्ञापन से करीब 950 करोड़ रूपए की कमाई का अनुमान लगाया गया है।

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